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तूफान में बिगड़े हुए हालात की तरह

तूफान में बिगड़े हुए हालात की तरह।
मजबूर सवाली के सवालात की तरह।

चाहत में उसके हाल ए दिल खंडहर की तरह है।
सैलाब में बर्बाद महल्लात की तरह। 

सावन के फुहारों में भटकता हुआ जुगनूं ।
आंखें बरसती हिज्र में बरसात की तरह।

वो शख्स मुझे देख कर भी बोलता नहीं।
मांगा खुदा से जिसको मुनाजात की तरह।

इश्क़ मुक़द्दस मेरा, ख्वाहिश विसाले यार।
दिल मेरा  है मासूम ख़यालात की तरह।।

ये जी़स्त सजाता हूं मैं दुल्हन की तरह से।
ग़म रोज़ चले आते है बारात की तरह।

कसमें हज़ार वादे इरादे बहुत सगी़र।
दिल उसने दिया मुझको भी सौगा़त की तरह।

डाक्टर सगीर अहमद सिद्दीकी खैरा बाजार बहराइच

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9 Comments

Virendra Pratap Singh

03-Sep-2021 08:47 PM

मस्त लाइन, ख़ासकर आखिर वाली!

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Miss Lipsa

02-Sep-2021 09:10 PM

Wow nice

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Rayeesha ❣️

02-Sep-2021 08:10 PM

Wahh bhut khoob sir

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